Sunday, February 12, 2012

आज चला हूँ मैं

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~आमुख~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बहुत हुआ अब और नहीं ... जीवन भर जंजीरों में बंधा रहा अब हौसला होता है ...महसूस होता है कुछ कर जाऊँगा ...गर शिखर पर न पंहुचा तब भी कदम जरूर आगे बढ़ाऊंगा...अब लगता है... कुछ कर जाऊँगा ..

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दिल में लिए कितने अरमान चला हूँ मैं, बंधी है मुट्ठी, छूने आसमान चला हूँ मैं
राह में आये लाख मुश्किलें मगर, हर मुश्किल को करने आसान चला हूँ मैं
हौसले से अब मिली है ताकत, दिल में लिए अपना ईमान चला हूँ मैं
मज़बूत हैं इरादे , पंखो में जान है, भरने परवाज़, लगा जी-जान चला हूँ मैं !!

मजबूर था हालातों से मगर, तोड़ने हर बंधन, हर दीवार चला हूँ मैं !
दिखती है जहा तक ज़मीं, क्या अंत है, जानने उस पार चला हूँ मैं !
वक़्त की ताकत कितनी भी हो मगर,हर ढाल पर करते वार चला हूँ मैं!
बावजूद हल पल बुझती लौ के, लिए दिल में उम्मीदे अपार चला हूँ मैं!

अभी बहुत है दूर, मंजिल पाने की आस में बेताब चला हूँ मैं
बिखरे टुकडो से पैदा कर, सच करने हर ख्वाब चला हूँ मैं
पहले भी उठाये हैं कई सवाल, अब लोगो को करने लाज़वाब चला हूँ मैं
कम न होगा साहस इक कतरा, लिए उल्लास बेहिसाब चला हूँ मैं

जिनसे था  मैं डरता अब तक, बनकर उनका काल चला हूँ मैं
जिनसे थी न मिलती आँखे, कर उनपर आँखे लाल चला हूँ मैं
विघ्न विपत्ति आते जो पथ में,उनको ठोकर से टाल चला हूँ मैं
इच्छा तो है हर कुछ पाने की, यूँ ही सपने पाल चला हूँ मैं 


गूंजेगी हर महफ़िल अब सुर से, लेकर सारे साज़ चला हूँ मैं
जिस माता की गरिमा हूँ मैं, करके उस पर नाज़ चला हूँ मैं
मंजिल पाने की नव विधि का , अब करने आगाज़ चला हूँ मैं
बीती बातों को भूला हूँ, लेकर नवोत्कर्ष आज चला हूँ मैं
----------------------------------------------------------------विपिन (१२/०२/२०१२)

(क्रांतिकारी... जो  हर किसी के अंतर्मन में होता है ...किसी भी बात पर झुंझलाता है ...पर बाहर आने से घबराता है ...जब इसमें बाहर आने की शक्ति आ जाती है तो युग परिवर्तन होता है )





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