Thursday, March 1, 2012

मोहब्बत करने लगा हूँ

उनसे नफ़रत करने चला था मैं, अब खुद से ही नफ़रत करने लगा हूँ
मोहब्बत न करने की कसम खायी थी जिससे, उसी से मोहब्बत करने लगा हूँ
मिलते न थे मेरे ख्याल जिससे, उसी की वकालत करने लगा हूँ
खुदा को मैं न मानता था अभी तक, अब उसी की इबादत करने लगा हूँ


दिल के आगे किसी का जोर कभी चलता नहीं, 
सही और गलत से परे, कुछ ऐसे ख्याल करने लगा हूँ

पहले तो झगड़ो में भी गुस्सा न आता था
और अब हर छोटी सी बात पर, बवाल करने लगा हूँ

हल पल एक बेचैनी, एक खुमार सा रहता है
क्यूँ होता है ऐसा, खुद से ही सवाल करने लगा हूँ

गर उनसे कह दूँ तो दोस्ती टूट सकती है
इसलिए न कह कर , इस दिल को हलाल करने लगा हूँ 


शायद उनसे दूर हो जाऊं तो चैन मिले
पर चैन कहा है, उसकी तलाश करने लगा हूँ

चैन को भी शायद उनसे ही मुहब्बत है
चैन भी उनके ही पास मिलता है, ऐसे कयास करने लगा हूँ

दूर होने की फिराक में और करीब हो रहा हूँ
खुद से दूर होकर भी देख लिया जाए,ऐसे प्रयास करने लगा हूँ 

कभी तो उनको मेरी हालत पे तरस आये
उन आँखों में भी प्यार की कुछ बूदें हो,ऐसी आस करने लगा हूँ 
------------------------------------------------------------------------------विपिन