Sunday, April 18, 2010

और लिख डाला ....!!

यूँ ही कर रहा था बात एक दोस्त से ...था उसको भी शौक शायरी का ...
बातो ही बातो मे , निकल पड़ी इक बात ....और भर डाला एक और पन्ना मेरी डायरी का !!

पता नहीं क्यूँ ऐसे ही हर कविता का आगाज़ होता है ,यूँ ही आ जाती है कोई Situation ...
यूँ ही कुलबुलाने लगता है कीड़ा सा दिमाग मे , और हो जाती है एक नयी Creation ...
यूँ ही हर कुछ हो जाता है ...बस यूँ ही ... चाहूँ भी तो लिख नहीं सकता !!
जब आती है आवाज़ दिल से ..."कि कुछ लिख डाल" ... चाहूँ भी तो रुक नहीं सकता !!

थी कोई, मत पूछो कहा !!.... आशिक मिजाज़ थे हम भी ...बस यूँ ही याद आ गयी उन दिनों की....
बस रखा दिमाग मे ...उस आशिक की एक प्रतिमा ...क्या नाम था उसका ...हाँ !! शायद मनोरमा !!
तो पेश है ....एक मजबूर आशिक के दिल की आवाज़ ...अगर लगे ये आपको अपने दिल के पास तो समझ लेना ... आपकी भी वही दास्तान है ... आखिर बेवफाई, धोखा,नज़रंदाज़ी मिलने के बाद भी उसी से प्यार करना ...इश्क का सम्मान है !!(don't worry मेरे साथ इनमे से कुछ भी नहीं हुआ है !!)


तू न सही तेरी याद को , दिल के पास लगाये बैठे हैं!!
कभी तो मिलेगी ,उस इक झलक कि आस लगाये बैठे हैं!!
गर न भी मिली वो एक झलक , तेरी याद मे तन्हा जी लेंगे!!
गर न भी मिली तू मौत तलक , दर्द-ए-जहर हम पी लेंगे !!
कहते हैं कि उनकी बेवफाई मे, कितने ही दिलों मे आग लगी !!
हम जलते दिल से जग रोशन करने कि साध लगाये बैठे हैं !!


तो ये थी मेरी रचना तारिख--तफरी १६/०४/२०१० !!....

किसी ने की फ़रियाद और लिख डाला ,दिल की सुनी आवाज़ और लिख डाला !!
यादों को दिया शब्दों का रूप , शब्दों ने किया चमत्कार और लिख डाला !!

3 comments:

narendra said...

khyal nazuk, rang roshan, mohabbatein hi mohabbatein hain,
is ek nazm par likhe bhi kya hum, abhi talak to padh hi rahe hain...

Sharad Akhilesh said...

Without any extra effort a simply superb creation........without using a single heavy word a very concrete construction

Simple words used in effective manner like this could also produce a happy kulbulahat in one's soft feeling........Seems writer is somewhat AshiqMizaz but at the same time hiding something from us......

I am seriously worried ki aapke sath aisa kuchh bhi nahi hua......lagta to nahi guru!!!!

Imandari se batana ye Manorama kaun hai?????

Amit Pundir - Buggz said...

बहुत खूब
प्यार का जज़बा नया रंग दिखा देता है, और अजनबी चेहरे को अपना महबूब बना देता है.
शरद बाबू आप क्यूँ मनोरमा को परखते हो, ये इश्क है मियाँ , ख्वाबों को भी मक़सूद बना देता है