Friday, December 25, 2009

पिछले साल इसी दिन !!

सबसे पहले सभी दोस्तों को Merry Christmas ...
disclaimer :
(ये सिर्फ व्यंग्य है इसका उद्देश्य किसी भी धर्मं या मान्यता के लोगो की भावनाओ का अपमान करना नहीं है )

हाँ तो पाठको , आज तारीख है २५/१२/०९. आज से ठीक एक साल पहले यानी पिछले क्रिसमस के दिन की बात है
...कहानी जरा लम्बी है और सिर्फ निट्ठ्ल्लो को मद्देनज़र रख कर लिखी गयी है...अगर आप अपने को संपूर्ण निट्ठल्ला मानते हैं(जिसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूँ ) तो पढ़िए ....

हुआ यूँ कि पिछले साल २३ दिसम्बर को ही मैं घर से ठंडी की छुट्टियाँ मना कर गया था ...जो कि Admission के - दिन पहले था..उद्देश्य था केरला भ्रमण ...जो कि हुआ नहीं...अलबत्ता सारे पैसे जरूर खाने मे ख़त्म हो गए थे ...Mess बंद होने के कारण ..खाने का कोई ठिकाना था ..कभी Main Canteen मे खा लिया कभी Kattangal मे ...कहीं भी खाना तो सही मिलता ...हाँ पैसे जरूर जेब का साथ छोड़ देते थे ...कुल मिलकर पूरे बंजारों सी जिंदगी काट रहे थे ...

उन्ही उबाऊ दिनों मे एक SMS आया जिसका मजमून मानो प्यासे को पानी के समान था...नहीं नहीं ऐसा कोई खजाने का नक्शा था ...सिर्फ Open Invitation यानी खुला बुलावा था ... Christmas Celebration के लिए
हमने भी शेखचिल्ली महाशय कि तरह , अच्चा ख़ासा हवाई महल बना लिया ...सोचा अच्छा मौका है कुछ कुछ खाने को तो जरूर मिलेगा ...चलते हैं...इसी बहाने दूसरे धर्मो को समझने और दूसरी संस्कृति का अध्ययन करने का उद्देश्य मतलब "एक तीर से तीन निशाना" का पूरा पालन हो जाएगा तो यूँ हम निकल पड़े मानव जाति का उद्धार करने ...मानो सारा विश्व हमारी ही ओर टकटकी लगाये देख रहा हो , सारे बुद्धिजीवी हमारी ही ओर आशा भरी नजरो से देख रहे हों ...कि लो वो जा रहे हैं इस युग के कार्ल मार्क्स ...पर ये तो सिर्फ आपके और हमारे बीच मे है कि इस सब के पीछे ये पापी पेट ही था ....बड़े बड़े नेता ,अभिनेता ,पुलिस सभी पापी पेट के लिए क्या क्या करते हैं ये तो किसी से छुपा नहीं है ...

हम बेसब्री से इंतज़ार करने के बाद निर्धारित समय पर सुबह १०:०० बजे पहुच गए निर्धारित जगह पर ...देखा तो वीरान सा पड़ा हुआ है सब कुछ ...मानो यहाँ तो कई सालों से कुछ आयोजित हुआ है और न ही कई युगों तक होगा ... हाँ सत्य तो यही था कि कुछ अच्छा मिलने के लालचवास हम समय से पहले ही वह पहुच गए थे ....अब आ गए तो वापस जाने का तो सवाल ही नहीं उठता ...युद्ध मे गया वीर बिना लड़े कैसे आ सकता है...कमान से निकला तीर लक्ष्य तो बेधेगा ही ...उसी तर्ज़ मे हम भी डटे रहे इस उम्मीद मे कि इंतज़ार का फल मीठा होता है (कही सुना है पर वो फल हर बार मिले ऐसा जरूरी नहीं है )...कुछ ही समय मे कुछ अजीब से दिखने वाले प्राणी जिन्हें आप पता नहीं क्या लेकिन हम तो मटके(अगर आप नहीं जानते तो तुरंत संपर्क करें) बोलते हैं , आ पहुंचे ...और हमने भी प्रवेश किया उस कमरेनुमा मीटिंग रूम मे (हाँ हाँ पता है मीटिंग रूम तो कमरेनुमा ही होगा न !! )...

अब मुझे तो ईसाई धर्म के रीति रिवाज़ तो मालूम नहीं थे ..सो अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरती जा रही थी ....फिर भी दूसरो को शीघ्र ही पता चल गया कि हम Alien हैं (कम से कम उनसे तो नहीं मिलते हैं )...वो एक बहुत ही छोटा सा कमरा था ..कुछ कुर्सियां पड़ी हुई थी जिन पर १०-१२ लोग बैठे हुए थे ...हमने सुरक्षा के मद्देनज़र ...सबको चीरते हुए सबसे पीछे कि सीट धर ली ...ताकि वहा से दूसरों को देखकर नक़ल तो कर सकें ...जल्द ही प्रार्थना शुरू हुई सभी लोग सम्मान मे उठ खड़े हुए (हो सकता है कुछ की श्रद्धा रही हो )...हमने भी तुरंत नक़ल की..उसी समय अपने निर्णय क्षमता पर पूरा गर्व कर ही रहा था कि ...ये क्या ...प्रार्थना तेलुगु मे ..कुछ मल्लू अनुयायी जिन्होंने ने कुछ महत्त्वपूर्ण कामो को छोड़कर यहाँ शिरकत कि थी ,जल्द ही निराश नज़र आये और चलते बने ...पर हम तो पूरा संकल्प कर के आये थे कि चाहे जो भी आज धर्म और संस्कृति का अध्धययन करके इस दुनिया से परायण करने से पहले मानव जाति का कुछ तो उद्धार करके ही जायेंगे ...शीघ्र ही प्रार्थना समाप्त हुई ...अब हम लालायित नज़रो से देखने लगे ....मन मे जिज्ञासा थी कि अब क्या...साथ ही ये उम्मीद भी थी कि क्या पता यही कार्यक्रमकी समाप्ति हो जाए और अच्छा अच्छा खाने को मिले ...पर ईश्वर इतना भी दयालु नहीं है ...और फिर युगों से चली आ रही उक्ति "समय से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता " को भी तो यथार्थ करना था ...

.बहुत समय बाद अंग्रेजी के कुछ शब्द कानो मे पड़े तो एक क्षण को तो ऐसा लगा मानो स्वयं ब्रह्मा ने आकर बीजमंत्र फूंक दिया हो ...जल्द ही बंगलोर से ख़ास उस दिन के लिए बुलाये गए ,दूसरे शब्दों मे Chief Guest ,सामने आये वे Brother थे और जैसा कि काफी लोगो को लगे ...हमारे लिए भी उनका आगमन कुछ रोमांचक न था ...अपने पद के अनुरूप उनने Bible के कुछ उक्तियों से शुरुआत की ..उनकी बाते ज्ञान से परिपूर्ण लेकिन नीरस थी (ये तो ब्रह्म सत्य है )...कुछ समय को तो लगा की उनकी बातों से कुछ points अपने जीवन डाले जाए ...लेकिन शीघ्र ही पेट ने दिमाग पर भारी होना शुरू कर दिया ..वो भाषण था या "तिलिस्माये होशरुबा "(जो नहीं जानते नीचे का note पढ़ लें ) की किताब जो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था ...३० मिनट बीते १ घंटा बीता १:३० घंटा ....अब नहीं रहा जाता ..."भाड़ मे जाए मनुष्य जाति और तेरा पावन उद्देश्य " मन ने कहा ..आज तो बच्चू बहुत बुरे फंसे ..न भाग सकते हैं और न रुक सकते हैं ...भागने का मतलब धर्मं का अपमान होगा और रुकने का मतलब अपने पेट के आदेश का अपमान ...इसी पेट और धर्म के युद्ध मे उलझा मैं कुछ और देर तक बैठा रहा और ..जब ऊपर वाले से इस गरीब की स्थिति न देखी गयी तो उसने कृपा दृष्टि घुमाई ...और शायद उन्ही के कारण श्रीमान Brother जी ने अपना व्याख्यान ख़त्म किया और मेरा रोम रोम पुलकित हो उठा ...

अब वो क्षण आ चुका था जिसके लिए मैंने वहां की यातनाए झेली और आपने यहाँ की (मतलब आपने ये पूरा लेख पढ़ा )

जल्द ही स्वयं सेवक कुछ खाने का लाये ...मन मे उमंग और साँसों मे तरंग छाने लगी ....लेकिन ये क्या ये तो सिर्फ एक प्लेट है ...जिसमे सूक्ष्म निरिक्षण से पता चला की उसमे एक केक का टुकड़ा और नमकीन था ..."बस इतना ही" ..मन ने कहा ...दिमाग ने जो कि अपेक्षाकृत ज्यादा चालाक होता है ,इसका विरोध किया और "संतोषम परमम् सुखं " की उक्ति का पालन करने का सलाह दिया ...अब बस एक मात्र आशा थी कि शायद ये नाश्ता हो और खाने का कार्यक्रम इसके बाद हो ...जो भी हो अब जो मिला खाना ही था .उसके बाद Pineapple जूस दिया गया ..और फिर सभी उठकर बाहर जाने लगे हमने भी सोचा हो सकता है भोजन के लिए जा रहे हो ,उनके पीछे हो लिए ..लेकिन ये तो बाहर का रास्ता है जहा मुंह धोने के लिए पानी drum मे रखा हुआ था....मतलब मुंह धोकर चलते बनो ...क्या ख़ाक मुंह धोएं ..कुछ खिलाओ तो सही ...लेकिन वह कौन सुनता है ..चीखते रहो चिल्लाते रहो ...आखिर हताश होकर हमें भी निकलना ही पड़ा ...क्यूँकि अब वहा कुत्तों का राज़ होने वाला था (जैसा की हर शादी की पार्टी के बाद होताहै )...जिन्हें अपने जैसे दिखने वालों से नफ़रत होती है ...

तो यूँ अपना सा मुंह लेकर हम Main Canteen आये और वही खाना खाया जिससे मुंह मोड़कर गए थे ...."लौट के बुद्धू घर को आये " मुहावरा सटीक बैठता मालूम हुआ ...!!

कहानी से शिक्षा : लालच बुरी बला !!

नोट:"तिलिस्माये होशरुबा " २५०० पन्नो कि २७ जिल्दों(parts) वाली किताब है और संभवतः विश्व कि सबसे वृहद् रचना है !!

11 comments:

Pushpendra Mishra said...

sir ji,

now i come to know that U have a Born talent.I suggest U to please write more.I m waiting for Ur Next Part....

Ultimate ....

U hav a god gifted talent.I suggest U to Show this talent U will reach the sky..

Unknown said...

too good sir..
u always depict the common thing in very uncommon way..!!
keep it up.
wt about this christmas?? shyd isiliye ap college fest me ni gye??? lolz

Shruti said...

waah sir kya baat hai kya bhasha ka prayog hai bilkul sachritra chitran lagta hai mano sab aankon k saamne hi ghatit ho raha ho....

raw data se processed material kahin behtar hai...ek baar fir aapne apne talent ka loha manwa hi liya...bahut khub

binnu said...

ek arase baad aisi hindi dekhane ko mili.........amar ujala ke vyayang prishth ki yaad dila di........

Amit Pundir - Buggz said...

सबसे पहले तो तुम्हे क्रिसमस की बधाई , भगवान् हर साल तुम्हारे जीवन में ज्यां का प्रकाश भरे , तुम्हारा लेख पढकर बहुत प्रसंता हुई और महसूस हुआ की हर बार जब हम चर्च में गए, "संतोषम परमम् सुखं " का पालन न करके, बहुत जी धन्य किया, चाहे कोई बुरा समझे या भला, लेकिन महीने में एक बार तो हम भी Jesni के साथ चर्च की पिछली कतार में शरीक होते ही थे, बस फर्क इतना होता था की सबके ध्यान मग्न होते ही हम भी Ranju के साथ बहार निकल लेते थे, रही बात खान पान की , बहार में ही Lipton की मस्त छाए तो मिलती है ! Wish you Merry Christmas and Happy new Year. apna chisrtmas -> http://thebuggz.blogspot.com/2007/12/merry-christmas-2007.html

APJ

Unknown said...

wah bhai wah, tu mear hi bhai hai???????? is prashn e mere dimag me tahlka macha diya hai.......

jawab jarur dena haan.....

vipin said...

first of all thnx to all for comments and for sharing their feelings....

all of you are the force which gives me inspiration to write ...i want appreciation and if i m able to get it ...i m successful !!...by looking at you people's response i will surely write more !!
@Pushpendra...Thnx yaar...that was really nice for me...i m reading that every day..!!

@Abhi.... haan bhai yahi reason tha ..i didn't go this time...i must admit ;)

thnx to shruti and Binnu also ...

@Buggz sir...you had some more exposure to Church ;) ...!!

@didi... is there any doubt ...i don't think so ...we talk on phone !!

Unknown said...

merry christmas bahi....lekin tumahre lekhini ko dekh kar lagata hai ki merry chritmas ab jagah dekh kar bolni padegi...:)calicut ki christmas to aapne apne shabdoon rupi ban chal kar dikha hi diya ab ummed karta hoon ki karnatka ka cristmas(sidhe shabdoo me kaha jaye to mysore ka christmas kaisa hota hai wo to ab aapke aane wali post ke baad hi mallom padega...:)(aapke aur hamare liye mangalmaye ho...)lekin ek baat to tai hai ki calicut me ja ke hamari sari bhavanaye(khas taur pe pe pet puja ki)ek halt pe aa kar ruk jati hai....isi umeed ki sath alwida kahta hoon ki aapka (aur hamara bhi)aane wala christmas mangalmay ho(arthat pet ki vijay ho....))

sudha said...

wow sir,aap itna accha likhte hain,pata hi nai tha:P
aaj aapka comment wali link dekha,to socha 1 comment oops complement me v de hi dalu....:)
उन्ही उबाऊ दिनों मे एक SMS आया जिसका मजमून मानो प्यासे को पानी के समान था..
sir y sms humare classmate ko kyun nai aata,,,,kisne bheja tha???agar aata to y x-mas blog har year padhne ko milte:)
मटके(अगर आप नहीं जानते तो तुरंत संपर्क करें)
sir xplain karo,,,,,
उनकी बाते ज्ञान से परिपूर्ण लेकिन नीरस थी (ये तो ब्रह्म सत्य है )..i jst lov this line...itne innovative idea bachpan me hi devlop ho gayi thi,,,k nitc ka prabhav hai
dhanywaad aake itne acche manoranjak,hum nitthallo ko maddenajar rakhte huye banane>>>>P

ysjaitawat said...

pretty good writing indeed... aapki bhasha ke gyan aur upyog ka sangam bada hi prabhavik aur romanchak hai. asha hai ye vyangay aur rachana ki dhara yo hi bahti rahe ...

Anu sharma said...

Seriously! Great writing skill......nourish it and go ahead...